डाक्टर साहब ने छोटी अवस्था से लेकर अंत तक कोई भी कार्य अपने लिए नहीं किया। उन्होंने अपना पेट भरने तक की चिंता नहीं की। समाज के लिए जीने की भावना और निरंतर कार्य करने की लगन, बस यही था उनका संपूर्ण जीवन। जो कुछ पढ़ा-लिखा वह भी इसी दृष्टि से, कि लोगों के दिलों में सद्भाव ही उत्पन्न हो। उन्होंने इसी कारण डाक्टरी की उपाधि प्राप्त की थी, किंतु डाक्टरी एक दिन भी नहीं की। इसी प्रकार जब चाचाजी ने उनको विवाह करने के लिए उद्यत करने की चेष्टा की, तब उन्होंने एक पत्र में स्पष्ट लिखा- 'मेरे जीवन का एक ही ध्येय है और मैंने अपने जीवन को उस ध्येय के साथ एकरूप कर दिया है। अतएव वैयक्तिक सुखोपभोग और पारिवारिक जीवन के लिए अवकाश कहाँ है?' हृदय के सारे गुण कार्य को दे दिए थे। फिर स्वयं के पास बचा ही क्या था, जिससे पारिवारिक जीवन चला सकें। यद्यपि उन्होंने अति दरिद्र कुटुंब, जिसमें प्रातःकाल का भोजन होने के पश्चात् सायं के भोजन की चिंता सताया करती है, में जन्म लिया था। फिर भी व्यक्तिगत कार्य के लिए एक पैसा कमाने तक की चेष्टा उन्होंने नहीं की और न ही पारिवारिक जीवन का सुख भोगने की लालसा को हृदय में प्रविष्ट होने दिया।

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23 वर्षों बाद भारत के प्रधानमंत्री की साइप्रस यात्रा ऐतिहासिक बन गई है। यह महज एक दौरा नहीं, बल्कि एक सशक्त संदेश है कि आदरणीय प्रधानमंत्री श्री Narendra Modi जी के नेतृत्व में भारत आज वैश्विक मंच पर आर्थिक, रणनीतिक, सांस्कृतिक और कूटनीतिक नेतृत्व की नई परिभाषा गढ़ रहा है। यात्रा की शुरुआत जैसे ही बिज़नेस राउंडटेबल से हुई, यह स्पष्ट हो गया कि अब आर्थिक सहयोग, निवेश विस्तार और वैश्विक साझेदारी देश की विदेश नीति का केंद्रबिंदु बन चुके हैं। भारत आज एक आत्मनिर्भर, विश्वसनीय और निर्णायक राष्ट्र के रूप में अपनी वैश्विक पहचान को और मजबूत कर रहा है। यह वही नया भारत है, जो अपने दम पर हर क्षेत्र में असाधारण प्रगति कर रहा है और पूरे विश्व को विकास, स्थिरता और सहयोग की नई दिशा दे रहा है।माननीय प्रधानमंत्री मोदी जी का यह विज़न भारत को विश्व शक्ति बनाने की ओर दृढ़ता से अग्रसर कर रहा है।